Sunam Daily Activity


सुदामा प्रभु के सखा भी हैं और भक्त भी - साध्वी सुश्री रूपेश्वरी
सुदामा प्रभु के सखा भी हैं और भक्त भी - साध्वी सुश्री रूपेश्वरी

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वाधान में शिव निकेतन धर्मशाला सुनाम में पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथामृत के अंतिम दिवस की दिन की शुरूआत स्वामी उमेशानंद जी, साध्वी ईश्वरप्रीता भारती, बगीरथ राय, दिनेश गुप्ता, विक्रम गोयल, विक्रम गर्ग ने परिवार सहित पूजन किया। कथा में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री रूपेश्वरी भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण कथा के माध्यम से अनेकों ही दिव्य रहस्यों का उद्घाटन का किया। जिनसे आज लोग अनभिज्ञ हैं कथा में भक्त सुदामा का प्रसंग सुनाया गया। सुदामा जी प्रभु के सखा भी हैं और भक्त भी। भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा जी के तंदुल बहुत भाव से ग्रहण किए क्योंकि भगवान तो सदैव भाव के भूखे हैं।
साध्वी जी ने बताया कि प्रभु श्री कृष्ण जी का जीवन चरित्र हमारे जीवन के लिए एक प्ररेणा स्रोत है। प्रभु की कथा एक परिवर्तन है,एक क्रांति है और यह क्रांति यह परिवर्तन कब घटित होता है? जब हमारे शरीर में प्रभु का प्राक्ट्य होता है क्योंकि मानव जीवन का लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करना है। भारती जी ने बताया कि हमारे समस्त शास्त्रों का यही उद्घोष है आत्म -दर्शन, प्रभु दर्शन ,ब्रह्य साक्षात्कार हमारे जीवन का ध्येय हैं। जिस समय हमारे जीवन में संत का आगमन होता है तो वो केवल परमात्मा की बातें नहीं करता बल्कि परमात्मा से मिला देता है।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी परमात्मा की केवल बातें ही नहीं करते। बल्कि प्रत्येक मानव के घट में परमात्मा का दर्शन भी करवातें हैं। ब्रह्यज्ञान द्वारा ही सम्पूर्ण विश्व में बंधुत्व एवं शांति की स्थापना हो सकती  है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान अध्यात्म क्रांति के साथ साथ सामाजिक स्तर पर भी कार्यरत है।
संस्थान के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा संस्थान का उदेश्य सम्पूर्ण विश्व को बंधुत्व की भावना में पिरोकर एक जी परिवार का रूप प्रदान करना है। आज के न्द्रीय तिहाड़ जेल में भी संस्थान के द्वारा आश्रम का संचालन किया जा रहा है जिसमें अनेकों ही कैदियों ने ब्रह्यज्ञान को प्राप्त कर अपने जीवन के वास्तविक उदेश्य को जान लिया है क्योंकि व्यक्ति को याद शांति और समाज में क्र ांति आ सकती है तो केवल मात्र एक ही उपचार है ब्रह्यज्ञान। संस्थान धाार्मिक आयोनों के साथ-साथ सामाजिक में भी अग्रणी है। संस्थान द्वारा ब्रह्यज्ञान के माध्यम से समाज को नवीन चेतना प्रदान कर उसमें से तमाम कुरीतियों को जड़ से खत्म किया जा रहा है जिसका एक ज्वलंत उदाहरण है युवाओं में बढ़ रही नशों की प्रवृति का संस्थान द्वारा आध्यात्मिक चेतना के माध्यम से उन्मूलन किया जा रहा है। हजारों लाखों लोग जिनके घर परिवार नशों लत के कारण बरबाद होते जा रहे थे वही आज सब संस्थान के सरक्षण में आकर के अपने आप में नव स्फू र्ति व जागृति का प्रस्फु टन महसूस कर रहे हैं संस्थान द्वारा किसी को नशा छोडऩे के लिए नहीं कहा जाता बल्कि उन्हें उनके जीवन का बोधा करवा दिया जाता है जिसके पश्चात् वह जीवन जागृति के कारण नशों का त्याग कर एक स्वच्छ और नैतिक जीवनयापन कर पाते हैं। इन्ही युवाओं को आध्यात्मिक प्रेरणा के माध्यम से जागृत कर उन्हें आध्यात्मिक क्षेत्र में अग्रणी बनाया जा रहा है। अध्यात्म ही सम्पूर्ण विकास की प्रक्रिया है। यही समस्त वेदों का सार है। हमारी भारतीय संस्कृति की महानता का प्रचार प्रसार संपूर्ण विश्व मे विख्यात है। कारण यही कि हमारी संस्कृति अध्यात्म पोषित है। इसी अध्यात्म के प्रदीप्त सूर्य की दिव्य रश्मियों ने सदैव विदेशाी दार्यानिकों विद्वानों को आकृष्ट किया। 
ज्योति प्रज्वल्लित करने के लिए विशेष रूप डा. सतपाल सिंगला, डा. प्रकाश ङ्क्षसगला, रणजीव ङ्क्षसगला, मनदीप जी, चरणजीत जी, प्रेम गुगलानी, अच्छरू गोयल, सुभाष ङ्क्षसगला, चंदन सिंगला, शिव जिंदल, श्रीमति सुनीता शर्मा, मीनू कांसल, इंद्र तलवाड़, राजेश कुमार, मनप्रीत बांसल, भूषण कांसल, प्रवीण गोयल आदि पहुंचे।
अंत में सुनाम की धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं द्वारा कथा व्यास साध्वी रूपेश्वरी भारती जी को और उनकी सारी टीम को सन्मानित किया गया।क था में साध्वी बहनों ने सुमधुर भजनों का गायन किया। कथा समागम के दौरान भाव विभोर श्रद्धालुओं का सैलाब प्रतिदिन इन कथा प्रवचनों का श्रवण करने के लिए उमड़ रहा है व कथा का समापान विधिवत प्रभु की आरती के साथ हुआ।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 










.